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Subodh Upadhyay

Drama Inspirational Romance

3.7  

Subodh Upadhyay

Drama Inspirational Romance

तुम कल्पना हो मेरी

तुम कल्पना हो मेरी

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तुम कल्पना हो मेरी,

मेरा अभिमान हो,

मेरे धड़कनों की गति, मेरी जान हो,

मेरी जिन्दगी का तुम अडिग स्तम्भ हो,

शान्त स्थिर जलाशय में मेरा प्रतिबिम्ब हो।


मेरी मुस्कान दिन का सूकूं

रातों का चैन हो,

मेरे वजूद का सन्दर्भ लिए

चमकते नैन हो,

मेरी लिखी रचनाओं का तुम काव्यांश हो,

मेरी अनकही जीवनी का तुम सारांश हो,

मेरी कविताओं के शब्द तुम मेरा गीत हो।


खुशबू हो तुम बहारों में मेरी ही प्रीत हो,

शबनम हो तुम

कुदरत की लिखी किताब हो,

मेरे मन के भौंरे की सुधा का कली गुलाब हो,

तुम खुशी हो मेरी

मेरे जीने का आधार हो,

तुम मेरे मन मे उभरा हर वो विचार हो,

तुम अनगिनत संगीत के लम्हों का साज हो,

तुम मेरे साहित्य की एक जीवंत आवाज हो।


ठंड की ठिठुरन में भीनी खुशबू का अहसास हो,

जेठ की गर्मी में शीतल मंद हवा सी खास हो,

तुम कल्पना हो मेरी।


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