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Rishabh Tomar

Romance

4  

Rishabh Tomar

Romance

तुम हमारी हुई हम तुम्हारे हुये

तुम हमारी हुई हम तुम्हारे हुये

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सारे सुख अपने रब को है प्यारे हुये।

तुम बिना दर्द में ही तो है गुजारे हुये।


सांस चलती है पर ये हकीकत सुनो,

हम है अंदर ही अंदर से जाँ मारे हुये।


जिंदगी कट गई है सफर में ही मेरी,

हमको हासिल न कोई किनारे हुये।


चाँद, तारे भी इतने खूबसूरत नही,

जितने झुमके है उसके उतारे हुये।


जीतना क्या है उसके उससे पूछो,

इश्क का खेल भई हम है हारे हुये।


रूह मांगी मगर जिश्म देखा नहीं,

ख्याब राधा मोहन से ही सारे हुये।


भीख की तो खुशियाँ भी मंजूर न,

खुश है फाकामस्ती में गुजारे हुये।


जो इश्क है तो करो एक फोन तुम,

एक अरसा हुआ तुम्हें पुकारे हुये।


ये भरता ही नही है मेरा मन कभी,

हर इक लम्हा तुम्हें है निहारे हुये।


दोस्ती से बढ़के तुम बहुत हो गये,

बस यही बोल तेरे जाँ हमारे हुये।


प्यार है तो ऋषभ कहो बस यही,

तुम हमारी हुई, हम तुम्हारे हुये।


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