तुम ही हो।।
तुम ही हो।।
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तू चाँद है, जिसे में पाना नहीं चाहती
बस मरते दम तक तुझे देखना चाहती हूँ।
तू फूल है, जिसे में तोड़ना नहीं चाहती
पर तेरी चाहत की खुशबू दिल पे लगाना चाहती हूँ।
तू वो कोहिनूर है, जिसकी रोशनी से
दुनिया को छुपाना चाहती हूँ।
तू वो सपना हे, जिसकी यादों में
ऑंखें सिमटकर सोना चाहती हूँ।
तू वो वक्त हे, जिसे में गवाना नहीं चाहती।
तू वो दिन हे , जिसे में ढलते
हुए देखना नहीं चाहती।
तू वो रात हे, जिसे में भूलना नहीं चाहती।
तू वो रास्ता हे, जिस पे में
आखरी सांस तक चलना चाहती हूँ।
तू वो किताब का पन्ना हे,
जिसे में पढ़ना नहीं चाहती।
बस अपने पास संभालकर रखना चाहती हूँ।
तू वो तस्वीर हे, जिसे में देखना नहीं चाहती।
पर उस तस्वीर की झलक
दिल के दर्पण में रखना चाहती हूँ।
तुम साँस हो,
तुम धड़कन हो,
तुम वो खूबसूरत जिंदगी हो,
जिसमें में आना नहीं चाहती,।
बस तुम्हें अपनी जिंदगी बनाना चाहती हूँ।।