STORYMIRROR

अच्युतं केशवं

Romance

3  

अच्युतं केशवं

Romance

तुम ही हो

तुम ही हो

1 min
281

समन्दर का विस्तृत किनारा

वाम पार्श्व में डूबता सूरज

सिंदूरी सांझ


तुम्हारे पांवों को पखार

वापस लौटती लहर

मैं और तुम


हमारी युगल छाया

धरती पर तुम्हारी उंगलियों से निर्मित

प्रेम का प्रतीक चिह्न

सीपी शंख


सब कुछ है इस पुरानी अल्बम में

लगे इस चित्र में

जब कभी पलटता हूँ

और


जी लेता हूँ

बीते पल दुबारा

बंद आंखों में स्मृति कौंध जाती है


पुरानी

जैसे यह चित्र न हो तुम्हारा

बल्कि

तुम ही हो।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance