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Abdul Rahman Bandvi

Classics Inspirational

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Abdul Rahman Bandvi

Classics Inspirational

तुम भी नहीं, हम भी नहीं

तुम भी नहीं, हम भी नहीं

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माना कि मुझमें लाख कमियाँ हैं मगर

सही तुम भी नहीं, हम भी नहीं


कुछ कमियों को तुम नजर अंदाज करो तो कुछ को मैं

वरना बाद पछतावे के यही होगा कि अब जिंदगी ही रही नहीं


कमियाँ होना या करना इंसानी फितरत में है

कमियाँ हों न भला ऐसा संभव ही नहीं


क्योंकि इंसान(कमियों का पुतला ) हैं हम सभी

भगवान तुम भी नहीं, हम भी नहीं


मत कर गुरुर तू अपने किसी भी मकाम पर

क्यूँ कि गुरूर आज तक किसी का टिका ही नहीं


ज़ब तक है जिंदगी बिता लो सभी के साथ अच्छे पल

बाद जिंदगी ये पल दुबारा मिले न मिले कोई जरूरी तो नहीं


भगवान ने जितना दिया उसी में उसका शुक्र अदा करें,

क्यूँ कि जितना हमें मिला इतना भी किसी को मिला नहीं


गर रब ने नवाजा है तो जरूरतमंदों की मदद करते रहो,

वक्त है जनाब कल कौन राजा,कौन फ़कीर रहे किसी को पता नहीं


जब तक है जान तो हर वक्त रब को याद करते रहो

रहमान बांदवी गर रूह कब्ज हुई तो कुछ करने लायक बचोगे नहीं।


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