तुझे जानने लगा हूँ मैं
तुझे जानने लगा हूँ मैं
तेरी आहट से तुझको पहचानने लगा हूँ मैं,
तुझसे भी ज्यादा तुझे जानने लगा हूँ मैं,
तेरी आदतें, तेरी चाहतें, तेरी मुस्कुराहट,
तेरा चलना, तेरा हंसना, तेरी बुदबुदाहट !
तेरा अच्छा-बुरा सबकुछ अपना मानने लगा हूँ मैं,
तुझसे भी ज्यादा तुझे जानने लगा हूँ मैं,
तेरा मेरे जीवन में आने का पहला एहसास,
तेरा चेहरा, तेरी नजरें, तेरे गुस्से का आभास !
तेरा रंग, बोलने का ढंग, तेरी जुल्फें,
तेरा अपनापन, तेरा अनूठापन,
सब दिल में बसाने लगा हूँ मैं,
तुझसे भी ज्यादा तुझे जानने लगा हूँ मैं !
इसे प्यार कहूँ, अपनापन या दीवानापन,
कुछ तो है तेरे मेरे बीच का ये बंधन,
हार में तू, जीत में तू, ख्वाब में तू, नींद में तू,
हर खुशी हर गम में तू, हरपल हरदम बस तू ही तू !
तुझे तेरे ही रूप में चाहने लगा हूँ में,
तुझसे भी ज्यादा तुझे जानने लगा हूँ मैं,
डरता हूँ तू मुझसे दूर न हो जाए,
मुझसे भी ज्यादा चाहने वाला तुझे कोई और न मिल जाये !
हाल-ए-दिल तुझसे कहूँ कि रहने दूँ,
इसी कश्मकश में रहने लगा हूँ मैं,
तुझसे भी ज्यादा तुझे चाहने लगा हूँ मैं,
तेरी आँखों में एक समंदर सा देखने लगा हूँ मैं !
ये प्यार है, दर्द है या सिरहन,
इसी उलझन में उलझने लगा हूँ मैं,
इसलिए थोड़ा खुद से दूर भागने लगा हूँ मैं,
तुझसे भी ज्यादा तुझे चाहने लगा हूँ मैं !

