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रजनीश 'योगी'

Abstract

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रजनीश 'योगी'

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आज मुझे तुम सुन लो ना.

आज मुझे तुम सुन लो ना.

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हर दिन तो तुम्हारी सुनता हूँ,

आज तुम मेरी सुन लो ना।


शब्द तो हर दिन कहता हूँ,

आज मेरा मौन भी सुन लो ना।


दिल में क्या रहता है मेरे,

बिना कुछ कहे समझ लो ना,


क्या दिल का कहना जरूरी है,

आज तुम मेरी आँखें पढ़ लो ना।


हंसाना तुम्हे पसंद है जानता हूँ,

कभी मेरी उदासी भी सुन लो ना।


तुम्हारे साथ कदम-कदम चलता हूँ,

चार कदम मुझ संग भी चल दो ना।


हर बात कहूँ जरूरी है ?

कभी बिन कहे भी समझ लो ना।


तुम तो कहते थे, समझते हो खूब मुझे !

क्या हूँ मैं ? आज मुझे भी समझा दो ना।

चुप हूँ ! मौन हूँ ! शांत हूँ ! आज मुझे तुम सुन लो ना।

आज मुझे तुम सुन लो ना।


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