ठान लो तो जीत ,मान लो तो हार।
ठान लो तो जीत ,मान लो तो हार।
तुम अकेले ही चलो, चलते रहो, डरना नहीं।
जिंदगी, जश्न- ए-जिंदादिली है, मरना नहीं।।
देखकर रास्ता मुश्किल, ठहर नहीं जाना।
बिना मंजिल को पाएं अब, घर नहीं जाना।।
तेरा विश्वास कई बार, डगमगाएगा।
ऐसा भी होगा कुछ भी ,समझ ना आएगा।।
जिन्हें तुम अपना मानते हो, मुंह वो मोड़ेंगे।
बीच रास्ते में अकेला भी, तुम्हें छोड़ेंगे।।
तेरे बदन में इक, सिहरन तभी दौड़ेगी ।
लगेगा जैसे कि, मंजिल ही साथ छोड़ेगी।।
बस यही ही वक्त है, खुद को संवार लेना तुम।
खड़े होकर के लक्ष्य को, निहार लेना तुम।।
बढ़ोगे आगे तो, दुनिया में नाम होना है ।
मुड़े गर पीछे तो फिर, बदनाम होना है।।
तुम्हारा हौसला जिस शख्स ने गिराया है।
छोड़ दे उनको, जिसने तुम्हें डराया है।।
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p;यहां तक आ ही गए हो, तो फिर बढ़ो आगे ।
आत्मविश्वास जगाओ, और चढ़ो आगे।
समझ ले मन में अगर, तेरे हौसला होगा ।
अगर लौटे भी तो, उतना ही फासला होगा।।
हार और जीत तो, मन का करार होती है ।
ठान लो जीत, मान लो तो हार, होती है।।
हारने वालों का दिल, बेकरार मिलता है।
जीतने वालों को, फूलों का हार मिलता है।।
पहुंचते ही मंजिल पर, तेरे कदम ठहर जाएंगे ।
जो भी खिलाफ थे, सब अपने नजर आएंगे।।
सफल होते ही, हर तरफ से तालियां होंगी ।
हार बैठे तो जमाने भर की, गालियां होगी।
बांछे खिल जायेगी, आंखों में सितारे होंगे।
ऐसा लगेगा दुनिया के सब जश्न तुम्हारे होंगे।।
परिश्रम, लगन व ईमानदारी के प्रसून पैदा कर।
"उल्लास" जीत के लिए, जोश और जुनून पैदा कर।