टैगोर
टैगोर


बंगाल की हवा में, एक कवि की आत्मा ने उड़ान भरी,
रवीन्द्रनाथ टैगोर, उनका नाम हम पूजते हैं।
पंखुड़ी जैसे शब्दों से खिलते हैं उसके छंद,
हर दिल में वो अपना कमरा ढूंढ लेते हैं।
विचार के क्षेत्रों में उनका मन घूमता रहा,
प्रकृति के आलिंगन में उन्हें अपना घर मिल गया।
कोमल प्रेम से लेकर स्वतंत्रता की पुकार तक,
उनकी कविता गूँजती है, सभी होते हैं मंत्रमुग्ध।
ज्ञान का प्रतीक बन अँधेरे में उनके शब्द चमकते हैं।
टैगोर हर कविता में, हम आपकी आराधना करते हैं।