तृण पर ओस बूँद सी
तृण पर ओस बूँद सी
तृण पर ओस-बूँद सी
चमकती-छलकती जिंदगी
सूर्य की ओजस्वी उष्मा से
अस्तित्व बचाने को तड़पती
लेकर चंचल चंद्र संजीवनी
श्यामल श्वेत शीतलता से
संघर्षरत झिलमिलाती सी
तारिका संग मुग्ध मचलती
तृण पर ओस-बूँद सी
चमकती-छलकती जिंदगी
घिरती घनघनाती घटाओं में
कपकपाती तड़ित गर्जन से
प्रस्तर प्रहार सहती पग-पग
संघर्ष हिंडोला झूले डगमग
रिश्तों को तराजू पर तौलती
पलड़ों के असम भार सहती
तृण पर ओस-बूँद सी
चमकती-छलकती जिंदगी।
भोर गिरी तृण पर मोती-सम
कानन कुसुम विकसाती
दृष्टिपात कर भू हरियाली
पथ पथिकों का हृदय हर्षाती
दिन-रात के आवागमन सी
वृत्ताकार धरती-सम चलती
तृण पर ओस-बूँद सी
चमकती-छलकती जिंदगी।