त्रिवेणी
त्रिवेणी
त्रिवेणी तीन नदियों का संगम स्थल
नाम था गंगा यमुना और सरस्वती।
पहले सरस्वती जल से भरपूर थी
विस्तृत नदी प्रवाहित होती दूर थी।
कहते हैं बलराम द्वारका से
मथुरा पहुंचे इसी नदी से।
यादवों की अस्थियां प्रवाहित हुई
युद्ध के बाद यहीं से।
महाभारत मे भी इसका उल्लेख है
नाम प्लक्षवती वेदस्मृति वेदवती है।
ऋग्वेद में बताया पूर्व में यमुना ओर
पश्चिम में सतुलज में है उसका छोर।
भौगोलिक संरचना से यह विलुप्त हुई
करोड़ों साल यह प्रक्रिया प्रारम्भ हुई।
विनाशना या उपमज्जना है वह स्थल
जब बहते बहते सूख गया भरपूर जल।