तोता
तोता
शाम का पहर है और ठंडी बयार चल रही है
ये वही वक़्त हुआ करता था जब मेरे पापा
के स्कूटर की आवाज़ आती थी
और हार्न की पीप पीप सुनकर मेरे घर
के छोटे आंगन के दरवाजे की
तरफ मैं दौड़ लगया करती थी
मैं भागती थी इसीलिये
सबसे पहले जाकर पापा के लिए
दरवाजा खोलना चाहती थी
ताकी वो स्कूटर किनारे लगाकर
उसकी डिकी खोलें
और मुझसे कहें चलो अपनी फ्रॉक की झोली बनाओ
क्योंकि मैं ढेर साड़ी जंगल जलेबी लाया
या ले आएं इमली या मीठे बेर
मैं भर लेती उनको झोली में और
धम्म से गिरती बिस्तर पर लगा करके उसका ढेर
कभी वो रंग बिरंगी कॉमिक्स लाते थे
जिन्हे में दिन रात पढ़ती थी,
छुपा के स्कूल बस्ते में डालकर
अपनी सहेलियों के साथ लंच ब्रेक में पढ़ती थी
तो कभी मैं पापा से ज़िद किया करती थी
कि आप मुझे स्कूटर के हैंडल के पीछे खड़ा करके
कॉलोनी का चक्कर कटवाओ
वो कहने लगे थे कि बड़ी
हो गई हो तुम
अब तुम्हारा कद मेरे सर से ऊपर जाता है
मेरे आगे अगर खड़ा कर दूं तुम्हें
तो मुझे आगे कुछ भी नजर नहीं आता है
हां मैं उन्हें अक्सर लाने को कहती थी
एक बड़ा सा सुंदर पिंजरा
मुझे पालना था क्योंकि एक छोटा प्यारा तोता
पापा समझाते हैं कि कैद में रखे कोई तुम्हें
और खिलाए तुम्हें रोज अपने पसंद का खाना
प्यार करें तुमसे बेहद भरपूर,
और पुकारे तुमको दिन रात
पर सिर्फ उनकी यही हो एक शर्त
कि रहना होगा इसी घर में चाहे कोई भी हो जाए बात
अब बताओ क्या रह पाओगी ऐसी जगह पर?
मैं सोच में पड़ जाती थी
कभी ज़िद करती थी तो
कभी आगे बढ़ जाती थी
फिर वक्त गुजरा ऐसे कि
स्कूटर के आगे खड़े होने के रोमांच से
पीछे की सीट पर जाने कब सिमट गई
अब पैदल चलने लगी थी मैं मीलों तक,
स्कूटर की सवारी कहीं लुप्त हो गई
मन की इच्छाएँ जाने कब समझौता हो गई
और एक दिन पापा की चिड़िया भी एक तोता हो गयी।