तन्हाईयाँ
तन्हाईयाँ
तन्हाईयाँ भी कुछ कहती है
कई कहानियाँ सुनाती है
भूल गए थे हम जिनको
उनकी दास्तान सुनाती है ।
इन दीवारों की और देखो
ये आईना दिख लाती है
इस आईने में अक्स देखो
ये इतिहास दिख लाती है
बाहर शून्य है और अंदर धमासान
ये बुद्धि भी कितना परेशान करती है
भूलने की बीमारी है लेकिन
याद सबकुछ रखती है
इन वीरानों को भी सब्र नहीं है
ये भी दम अपना दिखलाती है
शोर मचा कर ये अपना
दर्द हमे दिखलाती है