वतन
वतन
दुनिया की उन बंधनों से
मैं आजाद हो चुका हूं
अपनी मिट्टी की गोद में
आज सुुकूून की नींद सो चुुका हूं।
इस मिट्टी के लिए फिर
एक बार उठना चाहता हूं
इस मिट्टी के लिए
मैं हजार दफा मिटना चाहता हूं।
दुख इस बात का है कि
खुदा ने सिर्फ एक ही जिंदगी दी
आखिरी ख्वाहिश मेरी मैं खुदा से
इस मिट्टी के लिए सौ जिंदगियां चाहता हूं।
खुशनसीब हूं मैं जो अपना लहू
अपने वतन और मिट्टी के लिए बहा सका
कुछ वक्त के लिए ही सही
मिट्टी के लिए अपना फर्ज तो निभा सका।
ए मेरे वतन तू
ऐसे ही आबाद रहना
ए मेरे वतन तू
ऐसे ही आजाद रहना।