"आज कुछ कह तो लूँ "
"आज कुछ कह तो लूँ "
मुझे नशा है लिखने का !
मेरी निगाहें किसी चीज पर पड़ जाती हैं ,
या किसी क्षण समस्याओं से भिडंत हो जाती है
तो मेरी कलम चल पड़ती है !
भाषा के बन्धनों को मैं नहीं मानता !
दिल और दिमाग जो कहे उसे ही मान लेता हूँ !
कभी मेरी लेखनी लेख का शक्ल अख्तियार कर लेती है !
कभी कविता बन जाती है !
और यदा-कदा व्यंगात्मक व्यंजन परोसने लगती है !
आप पूर्ण रूपेण आस्वथ रहें ,
हम इन लेखनियों में मर्यादा की लक्ष्मण रेखा कभी भी नहीं लान्घेंगे !
मृदुलता ही हमारी लेखनी का आधार है !......
पर हमारे विचार ,हमारी सोच तो लोगों से भिन्य होंगे ही !
अपनी बात कहे मैं रुक नहीं सकता ! "