अनोखा प्रेम
अनोखा प्रेम
कुछ नया से वैलेंटाइन डे मनाएं आज,
करे खुद से प्रेम,खुद को ही बनाये एक साज,
गुलाब ही केवल क्या देना,
एक पौधा ही उपहार दें आज,
मूल से दूर पुष्प क्या जी पायेगा,
एक सुदर पादप प्रेम गीत गायेगा,
हर कली, हर शाखा मुस्कायेगी,
अनगिनत दिलो में प्रेम ज्योति जलायेगी,
रोप एक प्रेम का पौधा,
चलो जरा रखवाली करें,
प्रेम और पौधे को सशक्तता दें,
कर लालन पालन सम्पूर्ण विकास दें,
देखो जरा कितना प्रेम भरा,
इन प्यारे से पुष्पो में,
कितनी प्यारी मुस्कान सजी,
इन खिलखिलाते पुष्पो में,
चलो रोप ले फिर कुछ पौधे,
प्रेम के,समर्पण के,
रह निज प्रकृति में,
प्रेम की अभिव्यक्ति में,
कर विकसित प्रेम अपना,
आज पुष्पो से भी वार्ता करे,
इन पौधों सम प्रेम भी सशक्त करे,
बना ले प्रकृति को वैलेंटाइन,
प्रकृति की भी रक्षा करें।।