दुर्गा
दुर्गा
दुर्गा तुम काली बन,
आ जाओ इस धरती पर....
दुर्गा तुम हर बरस आती हो......
सजता है दरबार तुम्हारा.....
तुम्हारे मान, सम्मान, प्रतिष्ठा का,
रखते हमेशा ध्यान.....
तुम्हारे रूप का ध्यान करके,
कन्या रूप में पूजे तुमको,
तुम प्रसन्न हो जाओगी,
ऐसी कामना करते हम....
तो दुर्गा!!
सुनों फरियाद हमारी....
तुम हो जाओ विधमान,
हर नारी,हर कन्या में,
गर जरूरत पड़ जाये तो,
महिषासुर का रूप धरो,
दुर्गा अब संघार करो,
धरती से बलात्कारियों का....
दुर्गा अब काली बन जाओ,
प्रतिभा करती पुकार यही.....