इश्क
इश्क


अगर इश्क करना ही है तो,
अपने वतन से करना
इसकी माटी से निकलती,
खुश्बू को शिद्दत से महसूस करना
बांधना ही है गर रक्षा-कवच तो,
सरहद पर तैनात उन भाइयों को बांधना,
जो सिर्फ तुम्हारे लिए,
रोज ही होली खेलता...
अगर इश्क करना ही है तो,
अपने वतन से करना
इसकी माटी से निकलती,
खुश्बू को शिद्दत से महसूस करना
बांधना ही है गर रक्षा-कवच तो,
सरहद पर तैनात उन भाइयों को बांधना,
जो सिर्फ तुम्हारे लिए,
रोज ही होली खेलता...