Pratibha Shrivastava Ansh
Abstract
कवि ने आँसू भरी,
एक कविता लिखी
पत्रकारों ने,
खूब समाचार बटोरी
प्रशासन ने ऐलान किया
डॉक्टर-पुलिस,
अपने काम पर अडिग
और
निम्न तबका लौट रहा,
घर की तरफ
पैदल,भूखे पेट
बस चल ही रहा,
कहीं तो पहुँचेगा
लिखो जिसको,
जो लिखना है
बस लिख डालो।
कुछ ना बदला
मजदूर
गांधारी
होलिका
अहसास
बसन्त
बसंत
अनकहा
इश्क
शिकायत
क्या ये समाज एक लड़की को इंसान समझ पायेगा ? या यूं ही पुरुष प्रधान समाज चलता रह जाएगा? क्या ये समाज एक लड़की को इंसान समझ पायेगा ? या यूं ही पुरुष प्रधान समाज चलता र...
बातों की ये घुट्टी, हर दिन घिस कर, उसे चटायी जाती हैं l बातों की ये घुट्टी, हर दिन घिस कर, उसे चटायी जाती हैं l
क्यों इतनी दूरियां सी हो गई है आखिर ये मजबूरियां और बेबसी क्यों क्यों इतनी दूरियां सी हो गई है आखिर ये मजबूरियां और बेबसी क्यों
रहूँगी ऐसी ही हमेशा जो बदल जाए भला वो पिंकी कैसी ! रहूँगी ऐसी ही हमेशा जो बदल जाए भला वो पिंकी कैसी !
मिट्टी, पानी और चाक से बनाया जाता हूं मेरा इतिहास तो देखो मिट्टी, पानी और चाक से बनाया जाता हूं मेरा इतिहास तो देखो
क्यों की छोड़ सकता नहीं तरीका अपना फैलाने का ठेलम ठेला क्यों की छोड़ सकता नहीं तरीका अपना फैलाने का ठेलम ठेला
बेबस बन परमेश्वर को ढूंढ़ते रहते हैं अपने अंदर के परमेश्वर से हम मिलना कब चाहते हैं? बेबस बन परमेश्वर को ढूंढ़ते रहते हैं अपने अंदर के परमेश्वर से हम मिलना कब ...
विस्मृत हुआ दुर्योधन को हों भीमसेन या युधिष्ठिर, विस्मृत हुआ दुर्योधन को हों भीमसेन या युधिष्ठिर,
बहना ब्याह कर ससुराल जाये, प्यार भाई को दूज पर खींच लाये। बहना ब्याह कर ससुराल जाये, प्यार भाई को दूज पर खींच लाये।
महफिल फिर जमेगी दोस्तों की जब हम तुम बैठेंगे मिलकर, महफिल फिर जमेगी दोस्तों की जब हम तुम बैठेंगे मिलकर,
प्रभु भेजते नर रूप में गुरु को, जो कहलाते ब्रह्म ज्ञानी।। प्रभु भेजते नर रूप में गुरु को, जो कहलाते ब्रह्म ज्ञानी।।
काबिलीयत के रहते कमजोरों को पैसे व बल से दबा दिया जाता है काबिलीयत के रहते कमजोरों को पैसे व बल से दबा दिया जाता है
फिर अचानक एक पल में ख्वाबों का टूट जाना, आसान नहीं यूँ आगे बढ़ जाना फिर अचानक एक पल में ख्वाबों का टूट जाना, आसान नहीं यूँ आगे बढ़ जाना
तो यह जग फिर से रंगों से लहराएगा रंगों से लहराएगा। तो यह जग फिर से रंगों से लहराएगा रंगों से लहराएगा।
चीजो को कुछ समझने लगी हूं ,बिन सोचे बोलने से डरने लगी हूं । चीजो को कुछ समझने लगी हूं ,बिन सोचे बोलने से डरने लगी हूं ।
पहने ऐनक और हाथ छड़ी ,छवि बड़ी ही मनमोहक होती थी। पहने ऐनक और हाथ छड़ी ,छवि बड़ी ही मनमोहक होती थी।
हम जो सोच नहीं सकते थे उसने एक प्रयास किया , महाकाल को हर लेने का खुद पे था विश्वास कि हम जो सोच नहीं सकते थे उसने एक प्रयास किया , महाकाल को हर लेने का खुद पे था व...
शिव ही हर रोशनी का मूल दीप है शिव ही हार और शिव ही जीत है शिव ही हर रोशनी का मूल दीप है शिव ही हार और शिव ही जीत है
हाँ अब काफी साल बीत गए पुरानी बातों को याद करके हाँ अब काफी साल बीत गए पुरानी बातों को याद करके
स्टेशन जहाँ रेल की सवारी है , जहाँ से गुजरते सैकड़ो मुसाफ़िर हैं। स्टेशन जहाँ रेल की सवारी है , जहाँ से गुजरते सैकड़ो मुसाफ़िर हैं।