Pratibha Shrivastava Ansh
Abstract
कवि ने आँसू भरी,
एक कविता लिखी
पत्रकारों ने,
खूब समाचार बटोरी
प्रशासन ने ऐलान किया
डॉक्टर-पुलिस,
अपने काम पर अडिग
और
निम्न तबका लौट रहा,
घर की तरफ
पैदल,भूखे पेट
बस चल ही रहा,
कहीं तो पहुँचेगा
लिखो जिसको,
जो लिखना है
बस लिख डालो।
कुछ ना बदला
मजदूर
गांधारी
होलिका
अहसास
बसन्त
बसंत
अनकहा
इश्क
शिकायत
मेरा क्या है कुछ भी नहीं है तेरा भी क्या है कुछ भी नहीं है। मेरा क्या है कुछ भी नहीं है तेरा भी क्या है कुछ भी नहीं है।
तुम तलक बात मेरी पहुँची नहीं। तुम हो मेरे ही अपने कहते रहे। तुम तलक बात मेरी पहुँची नहीं। तुम हो मेरे ही अपने कहते रहे।
दिल साफ होगा तो निखर आएगी सुरत दिल साफ होगा तो निखर आएगी सुरत
सबके लिए हम जान भी दे दे, फिर भी कुछ ना पाएंगे,। सबके लिए हम जान भी दे दे, फिर भी कुछ ना पाएंगे,।
जब जब मैं खुद को अकेला महेसुस करूं तब मेरी साथी बन जाओ ना। जब जब मैं खुद को अकेला महेसुस करूं तब मेरी साथी बन जाओ ना।
भर जाते हैं बड़े से बड़े घाव वक्त आने पर । भर जाते हैं बड़े से बड़े घाव वक्त आने पर ।
कड़ी तपस्या कर कर इंसान, बनता है पारस के समान, कड़ी तपस्या कर कर इंसान, बनता है पारस के समान,
अपने बाबा पिता और अपने समय के मध्य हुए बदलाव को भी देखिए। अपने बाबा पिता और अपने समय के मध्य हुए बदलाव को भी देखिए।
खोले दिल के बंद कपाट खुशियों को थोड़ा बांट दे, खोले दिल के बंद कपाट खुशियों को थोड़ा बांट दे,
बहलता है मन तो बहल जाने दो ना। मचलता है मन तो मचल जाने दो ना। बहलता है मन तो बहल जाने दो ना। मचलता है मन तो मचल जाने दो ना।
लड़खड़ाते चलते रहे मंजिल की तरफ। कब बहके वो जिनको ये ख़ता ना लगे। लड़खड़ाते चलते रहे मंजिल की तरफ। कब बहके वो जिनको ये ख़ता ना लगे।
एक पृथ्वी की पूरी शक्तियां, क्या जानेंगे कैसे जानेंगे, एक पृथ्वी की पूरी शक्तियां, क्या जानेंगे कैसे जानेंगे,
दीये हमें देते सतत प्रयत्न करते रहने का सुंदर संदेश दीये हमें देते सतत प्रयत्न करते रहने का सुंदर संदेश
एक लम्हा भी उनसे बेरुखी का खाली कर जाता है झोली आशीर्वाद की तुम्हारी एक लम्हा भी उनसे बेरुखी का खाली कर जाता है झोली आशीर्वाद की तुम्हारी
दिव्यता का हर पल आभास हो। सत्य में आस्था सत्य के साथ हो।- दिव्यता का हर पल आभास हो। सत्य में आस्था सत्य के साथ हो।-
पिता के वचन का मान रखा छोड़ा सब राजपाट पिता के वचन का मान रखा छोड़ा सब राजपाट
विधु को अर्घ्य देकर प्रियतम के हाथों से पानी पी व्रत खोलें सखी। विधु को अर्घ्य देकर प्रियतम के हाथों से पानी पी व्रत खोलें सखी।
दिल हंसता भी रहा रोता भी रहा दिल हंसता भी रहा रोता भी रहा
वह बचपन के दिन किस्से कहानियों वाले दिन, वह चटपटी चूर्ण ,खट्टी मीठी गोलियों वाले दिन। वह बचपन के दिन किस्से कहानियों वाले दिन, वह चटपटी चूर्ण ,खट्टी मीठी गोलियों ...
तुम्हारा स्वरूप समझकर तुम्हारा ही अपना बनूँ। तुम्हारा स्वरूप समझकर तुम्हारा ही अपना बनूँ।