तूने क्या बोया है
तूने क्या बोया है
तूने क्या बोया है,
क्या कोई और काट नहीं सकता,
तूने क्या सोचा है,
क्या कोई और जान नहीं सकता।
न कर गुरूर न गरूर होने दे,
बात पर बात शुरु होने दे।
अपनी बहकी चालों से,
जमाने को गर्दिश में न जीने दे।
अपनी हसरत तो कोई भी मिटा सकता है,
वो हैवानियत है जमाने की हसरत कहाँ है।
