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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा

Inspirational

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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा

Inspirational

तूने क्या बोया है

तूने क्या बोया है

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तूने क्या बोया है,

क्या कोई और काट नहीं सकता,


तूने क्या सोचा है,

क्या कोई और जान नहीं सकता।


न कर गुरूर न गरूर होने दे,

बात पर बात शुरु होने दे। 


अपनी बहकी चालों से,

जमाने को गर्दिश में न जीने दे।


अपनी हसरत तो कोई भी मिटा सकता है,

वो हैवानियत है जमाने की हसरत कहाँ है।


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