तन्हाई
तन्हाई
देर रात जब नींद खुली
तो दबे पाँव तन्हाई आकर
सिरहाने बैठ गई।
थापकियाँ देकर कहने लगी,
सो जाओ...भोर अभी बाकी है
आधे- अधूरे सपने तो पूरे करो,
और मैं तो हूँ ही फिर
जिंदगी भर तुम्हारे साथ।।
देर रात जब नींद खुली
तो दबे पाँव तन्हाई आकर
सिरहाने बैठ गई।
थापकियाँ देकर कहने लगी,
सो जाओ...भोर अभी बाकी है
आधे- अधूरे सपने तो पूरे करो,
और मैं तो हूँ ही फिर
जिंदगी भर तुम्हारे साथ।।