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Manda Khandare

Abstract

3.0  

Manda Khandare

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तन्हाई

तन्हाई

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देर रात जब नींद खुली

तो दबे पाँव तन्हाई आकर

सिरहाने बैठ गई।


थापकियाँ देकर कहने लगी, 

सो जाओ...भोर अभी बाकी है

आधे- अधूरे सपने तो पूरे करो, 

और मैं तो हूँ ही फिर

जिंदगी भर तुम्हारे साथ।।



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