तमन्ना
तमन्ना
ना तो किसी कारवाँ की तमन्ना है
ना ही किसी काफिले की तलाश है
मैं चला जा रहा हूँ ऐसी दिशा में
बस रास्ता और तन्हाई मेरे साथ है
जानता हूँ ये राहें भी मेरी अपनी नहीं
तन्हाई रोशन करती है इन्हें
अपनी निगाहों के दीपक से
जब कोई मेहफ़िल मेरी मजबूरी पे हंसती है
तो तन्हाई मेरा हाथ पकड़ कर ले जाती है
कई बातें मंदिर की घंटियों में बहकर कहती है
और अपने आँचल तले मुझे सुला देती है
तनहा कहीं जब खड़ा होता हूँ
अपनी आत्मा से बातें करता हूँ
तन्हाई खामोश कर देती है मुझे
शब्द से बना आकाश कितना तनहा है
मैं जानता हूँ कि खुदा भी मेहरबान है
खुदा की रहमत है ये तन्हाई
क्योंकि उसे पता है
मुझे जिस मंजिल पे जाना है
बस ले जा सकती है मेरी तन्हाई।