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Sarita Kumar

Romance

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Sarita Kumar

Romance

तलाश

तलाश

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तलाश लेती हूं 

तुझमें 

वो तमाम रिश्ते 

जिन्हें छोड़ आई थी 

विदाई के वक्त 

देहरी के उस पार ...

तुम्हारे साथ 

अग्नि के समक्ष 

फेरे लिए थे 

मंत्रोच्चारण के बाद 

तुमने भैया भाभी के 

हाथों से मेरा हाथ लिया था 

शुभ मुहूर्त में सिंदूर भरे थे 

बांध लिया था मंगलसूत्र में मुझे 

लेकिन तब तुम मेरे पति नहीं थे

तुम बस हैंडिग टेकिंग की प्रक्रिया सम्पन्न किए थे 

मेरी जिम्मेदारी का भार स्वीकारा था 

बरसों बरस साथ साथ रहने के बाद मैंने "पति" पाया है 

और 

पति में वो तमाम रिश्ते तलाशा है 

जब 

तुम मेरी बेहुदा जिद्द पूरी करते हो 

तब "पापा" होते हो 

किसी उलझन को सुलझा देते हो 

तब "मित्र " होते हो 

मुश्किलों में साथ देते हो 

तब "भाई" होते हो 

अनायास कोई पसंदीदा उपहार लाते हो ...

तब "प्रेमी" होते हो 

किसी पीड़ा में तड़पती हूं और शोख लेते हो सारा दर्द 

तब तुम पति होते हो 

हां , तब तुम मेरे पति परमेश्वर होते हो .............

जब 

अग्नि के समक्ष फेरे लिए थे 

मंत्रोच्चारण के बाद सिंदूर भरे थे 

और गले में मंगलसूत्र बांधा था 

तब तुम मेरे "पति "नहीं थे

साथ साथ रहकर तुमने साबित किया है 

ब्रह्मांड में सिर्फ तुम अकेले हो 

जो मेरे पति हो 

और 

तुम में मेरा पूरा संसार है!


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