" तिरंगे का सम्मान "
" तिरंगे का सम्मान "
गणतंत्र दिवस परिचायक था ,
भारत के शौर्य , पराक्रम और शक्ति का ।
पर आज हिंसा, उत्पात, साधन बन गया,
आज़ादी की अभिव्यक्ति का ।।
कोई तो बताए
भारत माँ की अस्मत पर ,
क्यों हुआ प्रहार ?
सारा देश दहल उठा,
मच गई हाहाकर ।।
तिरंगे के सम्मान को ,
किसने ठेस पहुंचाई ?
किसानों के काँधों पर रखकर
किसने बन्दूक चलाई ?
लाल किले पर चढ़ उपद्रवियों ने
ये क्या अनर्थ कमा डाला ।
भारत की शान तिरंगे को हटा कर
कोई और ही ध्वज फहरा डाला ।।
साजिशों की बलि चढ़ गया ,
अन्नदाता का संघर्ष ।
राजनीति ने समीकरण बिगाड़े,
न कोई समाधान मिला, न निकला निष्कर्ष ।।
भारत माँ के हर सैनिक और किसान पर
है हर भारतीय को अभिमान ।
पर यह भी सच है सबसे बढ़कर ,
है तिरंगे का सम्मान ।।
हर कदम हमारा ऐसा हो ,
ना झुके देश की शान ।
सारे विश्व में चमके बन कर सूरज,
ये मेरा हिन्दोस्तान ।।
