थोड़ी है
थोड़ी है
ये आंसू की बूंदे थोड़ी है जो यूँ ही बह जाएं
ये नदिया का किनारा है ,हर गम सह जाये
मिलेंगे तुझे जिंदगी में दुश्मन एक नहीं,हज़ार,
पर तू साखी मिट्टी थोड़ी है,हरकोई रौंद जाये
ये दिल नफ़रतों को नहीं मानता है,
ये सिर्फ़ मोहब्ब्त की भाषा जानता है
हर कोई मीराबाई सा प्यार में पागल थोड़ी है,
जो परमेश्वर को भी अपना पिया कह जाये
ये दुनिया बड़ी मतलबी है,हर शख्श बेअदबी है,
ये दुनिया मोम थोड़ी है,बिना मतलब पिघल जाये
जिंदगी जीना है दोस्त अपने दम पर जीना सीख ले,
हर शख़्स कृष्ण थोड़ी है,सुदामा को गले लगा जाये।