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Ajay Gupta

Abstract

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Ajay Gupta

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थोड़ा पानी, थोड़ा ख़्याल

थोड़ा पानी, थोड़ा ख़्याल

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देखो क्या मांगता हूँ तुमसे मैं,

कुछ ज्यादा नहीं।

बस पानी की कुछ बूंदें

और कुछ माह की सुरक्षा।

थोड़ा पानी, थोड़ा ख़्याल

ज्यादा लगता है तुम्हें ?


अरे सोचो, मैं तुम्हें क्या दूँगा

सालों साल छाया,

प्रदूषण से मुक्ति,

ऑक्सीजन की आपूर्ति,

पंछियों का साथ,

फलों की सौगात।


और सुनो,

ये सब मेरे लिए नहीं है,

जरा भी नहीं।

सब तुम्हारे

और तुम्हारे अपनों के लिए।

करोगे ना, इतना तो,

थोड़ा पानी, थोड़ा ख्याल।


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