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Rajesh Mishra

Abstract

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Rajesh Mishra

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थोड़ा ज्यादा करना होगा

थोड़ा ज्यादा करना होगा

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कब तक टूटे सपनों का अफ़सोस मनाओगे 

कब तक उस खोयी मंज़िल से नजरें न हटाओगे 

बिता कल कुछ ना देगा बस मन बोझ बढ़ाएगा 

सोचो कुछ आज नया सा जो मंजिल तक ले जायेगा 

कल की कोशिश कल ख़तम हुई ,अब आज की फिक्र करना होगा 

नया इरादा करना होगा , थोड़ा ज्यादा करना होगा 


नये सफर में चलने का हौसला नहीं क्यों हो पाता 

हिम्मत देते थे जो साथी , आज नहीं कोई हैं साथ 

 मुझे पता है अब रुकने से कुछ भी नहीं हासिल होगा 

 नजर नहीं आता है कोई , चलो अकेले चलना होगा , 

फिर से मैं तैयार हुआ हूँ नयी उमंगो को लेकर 

नए जोश नव उम्मीदों का फिरसे थामे कोई हाथ 

कल के साथी कल तक ही थे, अब नया कारवां करना होगा 

नया इरादा करना होगा , थोड़ा ज्यादा करना होगा


मंज़िल तक क्यों नहीं पहुंचे सोचे कितनी कहाँ कसर रही 

जल्दी टूटी थी आशायें या राहें ही तुमको दिखी नहीं  

कोशिश ही भरपूर न थी या छोटे मन से किया प्रयास 

सपनो में बिस्वास नहीं था या सपना नहीं था कोई खास 

 आस ज्ञान प्रयास या सपना बड़ा, फिर मजबूती से गढ़ना होगा 

 नया इरादा करना होगा , थोड़ा ज्यादा करना होगा


मन को फिर मजबूत बना सपनों में भरके विश्वास

बड़े लक्ष्य को पाना है तो करना होगा विस्तृत प्रयास 

आसमान को छूना है तो करने होंगे पंख खड़े 

दृढ़निश्चय के बिना नहीं होते हैं कुछ कर्म बड़े 

फिरसे वादा करना होगा , जोश भी ज्यादा भरना होगा 

नया इरादा करना होगा , थोड़ा ज्यादा करना होगा




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