Geeta Sharma
Drama
वसुंधरा हे धरा
तेरी याद आई
अस्मिता बचाने को
तेरी याद आई।
यह नजारा
अच्छा है तू
मेरे मन के युद्ध मुझे तेरी पूजा ना करने देंगे। मेरे मन के युद्ध मुझे तेरी पूजा ना करने देंगे।
मंजिल नाम अपने इस बार कर चल उठ प्रण कर ना क्षण एक बेकार कर...! मंजिल नाम अपने इस बार कर चल उठ प्रण कर ना क्षण एक बेकार कर...!
ज्ञान मिले जीवन खिल जाए...! ज्ञान मिले जीवन खिल जाए...!
सुना है कभी दौर हुआ करता था पत्थरों का अब तो पत्थर के हो गए हैं लोग। सुना है कभी दौर हुआ करता था पत्थरों का अब तो पत्थर के हो गए हैं लोग।
जीवन को जीते रहने का ये, हुनर कहाँ से लाती हो तुम ? जीवन को जीते रहने का ये, हुनर कहाँ से लाती हो तुम ?
मैं पिरोती जाऊं मोती आस के ना जाने क्यूं धागा फिसल जाता है, मैं पिरोती जाऊं मोती आस के ना जाने क्यूं धागा फिसल जाता है,
किताब के पन्नों की तरह पलट जाए ज़िन्दगी तो क्या बात है ! किताब के पन्नों की तरह पलट जाए ज़िन्दगी तो क्या बात है !
मैं, माँ की चटाई बिछाकर माँ का चश्मा लगाती हूँ और माँ की किताबों में खोजती हूँ माँँ...! मैं, माँ की चटाई बिछाकर माँ का चश्मा लगाती हूँ और माँ की किताबों में खोजती हू...
ख़ुशी तो जी बस इतनी है जब भी सुकून की तलाश में निकलें हैं, किसी ने आज तक धर्म नहीं पूछा मज़ारों में... ख़ुशी तो जी बस इतनी है जब भी सुकून की तलाश में निकलें हैं, किसी ने आज तक धर्म ...
आज मैंने मौत से भी अपनी दोस्ती कर ली...! आज मैंने मौत से भी अपनी दोस्ती कर ली...!
तन्हा-तन्हा रातें अपनी मीठी-मीठी बातें उनकी क्या जाने हम सोच के अपनी आँखों में आँसू भर लाए ! तन्हा-तन्हा रातें अपनी मीठी-मीठी बातें उनकी क्या जाने हम सोच के अपनी आँखों मे...
कठिनाइयों के सामने यूँ मजबूर ना हो तू खुद ही एक कोहीनूर है ! कठिनाइयों के सामने यूँ मजबूर ना हो तू खुद ही एक कोहीनूर है !
हिमगिरि से निकल कर कल-कल, निरंतर प्रवाहमान करती छल- छल, है मेरी जलधारा निर्मल, पर्वत श्रृंखला मात... हिमगिरि से निकल कर कल-कल, निरंतर प्रवाहमान करती छल- छल, है मेरी जलधारा निर्मल,...
आओ मिलके स्वच्छ बनाएँ अपना प्यारा हिंदुस्तान ! आओ मिलके स्वच्छ बनाएँ अपना प्यारा हिंदुस्तान !
खास की मन को मिल जाये, शांति उपहार पर खत्म नहीं हो रहा है, साखी का इंतजार खास की मन को मिल जाये, शांति उपहार पर खत्म नहीं हो रहा है, साखी का इंतजार
इस किताब को पढ़ती नहीं जीती है स्त्री ! इस किताब को पढ़ती नहीं जीती है स्त्री !
निगाहों ने तुमको ही, अपना बताया । निगाहों ने तुमको ही, अपना बताया ।
दे दे इतनी - सी रोशनी कि दिल का अंधेरा दूर कर सकूं मैं कोई टूटी हुई उम्मीद अभी भी जैसे कायम है दे दे इतनी - सी रोशनी कि दिल का अंधेरा दूर कर सकूं मैं कोई टूटी हुई उम्मीद अ...
तुम आये तो बहार आ गयी हर लम्हे में खुशियां छा गयी...तुम साथ हो तो फिर से जीने को दिल करता है हर ब... तुम आये तो बहार आ गयी हर लम्हे में खुशियां छा गयी...तुम साथ हो तो फिर से जीने ...
दो राहें थी, इक घर को इक सपनों की ओर चली...। दो राहें थी, इक घर को इक सपनों की ओर चली...।