STORYMIRROR

Kumar Vinod

Inspirational Others

4  

Kumar Vinod

Inspirational Others

तेरे राज़ और हम

तेरे राज़ और हम

1 min
239

ज़लज़लों का शहर है ये, 

तूफ़ान भी दिल में दबाये फिरते हैं, 


कहने को राज़ नहीं थी उसकी कही बातें, 

अफसोस कि फिर भी छिपाये फिरते हैं, 


दिल का दरिया बहने को तैयार था, 

अंदर ही मौजों को रिझाये फिरते हैं, 


उसकी इक मुस्कुराहट का सवाल था ऐ 'विनोद', 

इसलिए अपने अश्कों को छिपाये फिरते हैं, 


देखकर मुझे अगले मोड़ पर कोई संभल जाए शायद, 

उन रास्तों पर इसलिए ठोकर खाये फिरते हैं, 


ये मेरा लिखा तो उसे नागवार ही गुजरेगा, 

मगर हम आदतन सच को सच ही लिखते हैं



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational