तेरे मिलन की आस।
तेरे मिलन की आस।
उस दिन की है आस प्रभु जिस दिन तेरे दर्शन होंगे।
मन व्याकुल है अखियां प्यासी, मोहे तेरे मिलन की आस।।
निशदिन दिन तेरी राह निहारूं,टक-टक ताकूँ बाट ।
तेरे आवन की आस लगी है, मोहे तेरे मिलन की आस।।
राह न सूझे इत उत दौडूँ,भटकत हूँ दिन-रात ।
पिया मुझे एक रास्ता दिखला दे, मोहे तेरे मिलन की आस।।
मैं पापी जन्म-जन्म का, गहि लीजौ मेरी बाँह।
प्रभु तुम तो हो पूर्ण समरथ, मोहे तेरे मिलन की आस।।
फँसा हुआ माया के बंधन में ,लागे जैसे फाँस।
यह बंधन नित्य भेद बताबत, मोहे तेरे मिलन की आस।।
यह काया लागे सब झूठी माया, रहे न किसी के पास।
अब तो प्रभु मुझे अपना बना लो, मोहे तेरे मिलन की आस।।
अंत समय जब निकट आवै, बाँह पकड़ फिर गोद उठा ले,
बंधन काट "नीरज" को शरण लगा ले, मोहे तेरे मिलन की आस।।
