Tere mere darmiyan (दरमियां )
Tere mere darmiyan (दरमियां )
गर खफ़ा न हो मुझसे तो वो बात कहूँ
दरमियां हैं तेरे मेरे वो राज़ कहूँ ।
रहबर हो कि मुझे ग़लत कहनेवाले
बुरा न लगे तो तेरी बेवफ़ाई वाले सारे जज़्बात कहूँ।
अब जो में ग़लत हूँ , तो कैसे तेरी सना कहूँ
जिस्मों में उलझने से पहले की उल्फत को तेरी खता कहूँ
जो हो न सका तेरे इंतज़ार में अब उसको में क़ज़ा कहूँ ।
मेरे हम उमर हम साये हम दम हम राही
आखिर क्यूँ देनी पडती है सबूत ए बेगुनाही।
क्यूँ तुम नादाँ हो जाते हो बिना सफाई
ज़रा फिर से सोच के दोहराओ कहानी हमारी
या क्या चाहते हो मुझसे वो सारी बातें तफसील से में ही कहूँ ।

