STORYMIRROR

Manoj Kumar

Romance Thriller

4  

Manoj Kumar

Romance Thriller

तेरे होंठों पर शबनम की बूंदें

तेरे होंठों पर शबनम की बूंदें

1 min
601

तेरे होंठों पर शबनम की बूंदें।

बिखरी है खुशी- खुशी लबों को चूमकर।

आज मजे में वो, जो पत्ते पर बिखरी थी।

अब छा गई तेरे होठों पर सरक कर।


खुशनसीब भी है, जो तेरे हुस्न पर है।

टपकती है जैसे पत्ते पर गिर रही हो।

लालिमा रंगों में पिघलकर।

चिपक जाती है मदहोश होकर।


बिखरी है पतली धारा में।

शीतल सा पानी।

रुक जाती है जैसे पेड़ों से टकराकर आई हो।

लेकर मदहोश जवानी।


लगता है मुझे इश्क़ है तुझसे।

तभी तो वो तेरे होंठो को छोड़कर जाती नहीं है।

सुरूर है उन पर तेरी अदाएं देखकर।

वो आहिस्ता से मजा चख रही थी दाने होकर।


शबनम की बूंदें है जो, मगर तू प्यार लग रही है।

जैसे गुलाबो की पंखुड़ियों पर ओस चिपक जाती है।

वहीं हो तन्हा तस्वीर, जो गुमसुम हो।

जब सपने में आती है तब दिखाई पड़ती है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance