तेरा श्याम कहाँ है ?
तेरा श्याम कहाँ है ?
यह प्रेम की नीर
आँखों से बहता नीर
विराहाग्नि से झुलसा तन
बेसुध, व्याकुल, तड़पता मन
यह खामोश उदास आँखें
शून्य में विलीन होती साँसें
रहगुज़र पर बैठ देखती राह
हरदम मुँह से निकलती आह
अधूरी चाहतों की
भूली बिसरी कहानी
वो रो पड़ी दिवानी
बस यही तो पूछा था
कि राधा तेरा श्याम कहाँ है ?

