अंतर्द्वंद प्रेम पाश का
अंतर्द्वंद प्रेम पाश का
मस्तिष्क में, अश्व की भांति,
विचरते, तीव्र गति में, विचार ।
भावनाओं का ऐक अन्तर्द्वन्द्व,
अंतरमन में, हो कर निराकार ।।
हृदय विदारक ये प्रेम पाश है,
निश्च्छल है और है निर्विकार ।
अनगिनत भंगिमाएं नयनों की,
बांधे अश्रु धारा, करे ये उपकार ।।
अंतहीन प्रतीक्षा का भार संभालें,
पल पल, नियमित चले अभिसार ।
अनुनय विनय से प्रेम मिले जो,
आंचल में हो निज मोह साकार ।।