द्रौपदी का असमंजस
द्रौपदी का असमंजस
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द्रौपदी खुद को कोसती है की उसके साथ जो भी हुआ वह उसकी खुद की गलती है, वो खुद को कारण देने की कोशिश करती है की क्यों उसने भारी सभा मे जब उसका चीर हरण हो रहा था तो भीष्म पितामह की तरह मदद की आस लगाई क्यों उसने विदुर धृतराष्ट्र से गुहार लगाई क्यों द्रोणाचार्य और अपने 5 पांडव पतियों से उसे बचाने की उम्मीद करी , वह स्वयं अपने लिए क्यों नहीं लड़ी क्यों वह कुंती को देख रही थी वो मद को आगे आएगी क्यों उसने अपने लिए खड़े हो कर लड़ने की नहीं सोची।
