बदल गई ...
बदल गई ...
अच्छा, तो तुम्हे लगता है, मै वाकई बदल गई,
ज़रा सोचकर तो देखो, क्या तुम अब भी हो वही ।
हां पहले भी तो था नहीं, वक़्त ज़रा भी तुम्हारे पास,
दो घड़ी साथ बैठने को, संग मेरे तुम अब भी हो नहीं ।
जाने से तुम्हारे, जाने क्यों, सूनी आंखो से मेरी,
मोतियों की बारिश, कतरा कतरा अब भी हो रही ।
लगता तो है तुम दूर हो मुझसे, मगर फिर भी,
दिल के उस वीरान कोने में, तुम अब भी हो कहीं ।
ज़िन्दगी के वो लम्हे, जो बिताए थे हमने साथ कभी,
उन हसीन पलों की महक, लेकर तुम अब भी हो यहीं ।
खूबसूरत तो होगा, जो होगा ज़िन्दगी के सफर में,
कसक के साथ तुम, खुद ना हो कर अब भी हो यहीं ।
चलो आज मै मान लेती हूं, शायद बहुत गलत थी मै,
ये तो बताओ सोच कर, क्या तुम, अब भी हो सही ।