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anupam srivastav

Romance

4.6  

anupam srivastav

Romance

बदल गई ...

बदल गई ...

1 min
268


अच्छा, तो तुम्हे लगता है, मै वाकई बदल गई,

ज़रा सोचकर तो देखो, क्या तुम अब भी हो वही । 


हां पहले भी तो था नहीं, वक़्त ज़रा भी तुम्हारे पास,

दो घड़ी साथ बैठने को, संग मेरे तुम अब भी हो नहीं ।


जाने से तुम्हारे, जाने क्यों, सूनी आंखो से मेरी,

मोतियों की बारिश, कतरा कतरा अब भी हो रही ।


लगता तो है तुम दूर हो मुझसे, मगर फिर भी,

दिल के उस वीरान कोने में, तुम अब भी हो कहीं ।


ज़िन्दगी के वो लम्हे, जो बिताए थे हमने साथ कभी,

उन हसीन पलों की महक, लेकर तुम अब भी हो यहीं ।


खूबसूरत तो होगा, जो होगा ज़िन्दगी के सफर में,

कसक के साथ तुम, खुद ना हो कर अब भी हो यहीं ।


चलो आज मै मान लेती हूं, शायद बहुत गलत थी मै,

ये तो बताओ सोच कर, क्या तुम, अब भी हो सही ।



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