तेरा चुपके से आना
तेरा चुपके से आना
तेरा चुपके से आना खुशियों का तसव्वुर है,
रात की मजलिसो में आना इजहार- ए- मोहब्बत है।
खफा हो गए थे हम खुद से इस कदर,
ख्वाहिशों के दरवाजे भी बंद कर दिए थे हमने।
तुझे तो अपनी जान से ज्यादा चाहते हैं हम,
मुकद्दर है हमारा जो तुम चुपके से आते हो इधर।
फर्श से अर्श तक की दास्तां तुझे सुनाऊँगी,
अपने ख्यालों की गलियों में तुझे सजाऊंगी।
तस्बी पर कलमा पड़ती हूँ हर रोज,
मन्नते तेरे नाम की मांगती हूँ हर रोज।
फकत इतना एहसान कर देना,
अपने दिल में मुझे ही बसा कर रखना।
फुलवारी तो खुशियां मनाती है,
मेरे महबूब कि मुझे याद दिलाती है।