माँ
माँ
माँ के कदमों में जन्नत है,
इनके आँचल में ही जिंदगी सलामत है।
नमाजो के सजदे जब माँ करती है,
दुआओं में अपनी औलाद की खुशियां मांगती हैं।
मैं तो अपनी माँ की ममता में मगरूर रहती हूँ,
दोनों जहान का इल्म इन्होंने मुझे जो बख्शा है।।
किन अल्फाजों में तारीफ करूँ माँ की,
दिल भर आता है मोहब्बत-ए- इबादत देखकर माँ की।
जब गजल की एक पंक्ति लिखती हूँ मैं,
आगोश में लेकर पेशानी को बोसा देती है माँ।
तालीम-ए-तिलावत तो नजराने में पेश कर दिया माँ ने,
खुदा करें उनकी खिदमत-ए-इबादत में जिंदगी गुजार दूं अपनी।