तेरा अधूरा वादा
तेरा अधूरा वादा
तेरे वादों से मुकरना कैसे ?
तेरे वादे ही तो जीने का सबब देती है।
फिसलती रेत से, सीख लो सबक जिन्दगी के
जोर अपनी जगह होता है और नजाकत अपनी जगह
ज़िन्दग़ी के सफ़र से बस इतना ही सबक सिखा है
सहारा कोई नहीं देता धक्का देने को हर शख्स तैयार बैठा है
हम नादान अच्छे है दुनियाँ के समझदार लोगों से
हम अपने ख्वाब जरुर तोड़ते है पर किसी का दिल नहीं
समझे थे तुमसे दूर निकल जायेंगे कहीं,
देखा तो हर मकाम तेरी रहगुजर में है।
आपसे दूर रहके भी आपको याद किया हमने,
रिश्तों का हर फ़र्ज अदा किया हमने
मत सोचना की आपको भुला दिया हमने,
आज फिर सोने से पहले आपको याद किया हमने
न दिल से अपनाया उसने, गैर भी समझा नहीं
ये भी एक रिश्ता है, जिसमें कोई रिश्ता नहीं।
