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Kishan Negi

Romance

4.5  

Kishan Negi

Romance

तड़पता बहुत ये दिल है

तड़पता बहुत ये दिल है

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तेरे विरह में पल-पल तड़पता बहुत ये दिल है

इस दर्द का गुनहगार तेरे गालों का काला तिल है 

शुक्र है मिला नहीं कोई हमसफर तुझे अब तलक 

शायद इस ज़माने की रिवायत नहीं तेरे काबिल है 


कल फिर आना आज की मुलाकात अभी अधूरी है 

हर बात हो चुकी मगर दिल की बात अभी अधूरी है

चांदनी बिखरी है हर तरफ़ मादक हवाएँ बहक रही हैं 

कुछ पल ठहर जाओ आज़ की रात अभी अधूरी है 


बहुत दिन हो गए ख़बर कोई उधर से आई नहीं

मेघ तो गरजे मगर आषाढ़ की रस्म निभाई नहीं

ठुमक ठुमक कर मतवाली पौन अपने मायके चली

विरहिणी के नाम बालम का कोई पैगाम लाई नहीं 


करके दिल्

लगी इस दिल में कुछ-कुछ होने लगा है

कशिश की बाहों में सिमट कर चांद खोने लगा है

शबनम के मोतियों का हार पहने सुबह इतराती है

एहसासों के सीने में कोई प्रेम के बीज बोने लगा है


जैसी हो वैसी रहना कुछ बदलने की ज़रूरत नहीं है 

ज़माने के जज्बातों में फिसलने की ज़रूरत नहीं है 

सर्द हवाएँ बहक रही है मौसम भी आज़ बेईमान है

जुल्फ लहराकर घर से निकलने की ज़रूरत नहीं है 


ईश्क की खुमारी को तेरे अधरों से जोड़ना चाहता हूँ

खुशियों की हर लहर को तेरी ओर मोड़ना चाहता हूँ 

बसंत की चौखट पर घूंघट ओढ़े जवानी मुस्कुराती है

तेरी बेचैनियों के कच्चे धागों को आज़ तोड़ना चाहता हूँ।



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