STORYMIRROR

Ajay Singla

Drama

4  

Ajay Singla

Drama

ताया जी

ताया जी

1 min
289

एक ताया जी थे मेरे

भजन वो करते रहते थे

माथे पे थे तिलक लगाते

सब पंडित जी उन्हें कहते थे


संयुक्त परिवार था हमारा

उनके कोई नही था बच्चा

मेरे से लगाव बहुत था

रिश्ता हमारा बहुत अच्छा


जो भी मुझे चाहिए होता

उनसे मैं था मांग लेता

न कभी न करते,कहते

तू तो मेरा अपना बेटा


कॉलेज में एडमिशन हुई

वहां भी मदद मेरी कर दी

पैसे की कमी थी थोड़ी

आधी फीस मेरी भर दी


मेडिकल में पास हुआ

पढ़ने था मैं बाहर गया

एक दिन ये खबर आई

ताया जी का निधन हुआ


आ न पाया अंत्येष्टि में

हालाँकि बहुत वियोग था

परीक्षा चल रही थी मेरी

जिस दिन उनका भोग था


काफी साल बीत गए

शादी भी मेरी हो गयी

भूल उनको पाया न मैं

याद उनकी न गयी


पत्नी संग बैठे एक दिन

बात उनकी चल पड़ी

मैंने बोला याद आते

ताया जी मुझे हर घडी


कभी कभी मुझे सपना आता

जैसे मुझको कह रहे

आशीर्वाद वो मुझे देते

बेटा तू जीता रहे |


अगले दिन था मैंने देखा

फोटो घर पर टंगी थी

पत्नी ने पीछे से कहा

पुरानी एल्बम में लगी थी |


एक दिन सुबह मैं उठा

चाय की डिमांड की

पहले पूजा,फिर मिलेगी

पत्नी ने आवाज़ दी


मैं अभी किचन में हूँ

खाना मुझे बनाना है

बाहर घंटी बज रही

पंडित जी को आना है


पंडित जी बाहर खड़े थे

मैंने जब थी कुण्डी खोली

मैंने पूछा ये सब क्या है

हंस के वो फिर मुझसे बोली


कहते तुम थे बेटे उनके

ये बात मुझे याद है

तुम बेटे तो मैं बहू हूँ

आज उनका श्राद्ध है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama