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गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न

Abstract Inspirational

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गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न

Abstract Inspirational

ताटक छंद....

ताटक छंद....

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अस्ताचल में सूर्य थमा है,

    पूछ पृथा जागीरों को ।

भीतर तेरे छुपा गगन है,

    तोड़ सभी जंजीरों को ।।


तुममें भी है हॅंसी पात्रता,

    ढूंढो मृग कस्तूरी को ।

रिश्ते पावन होते देखो,

    भाल सजे सिंदूरी को ।।

मुग्ध-मयी इक गंध रमा है,

    मंद-मंद कर्पूरी को ।

मानव जन्मा आदिम युग से,

   सीख लिया दस्तूरी को ।।


क्रुद्ध हुआ अब अंतस ढॉंचा,

    तोड़ो इन प्राचीरों को...

भीतर तेरे छुपा गगन है,

   तोड़ सभी जंजीरों को..


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