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dhiraj jesvar

Tragedy

3  

dhiraj jesvar

Tragedy

तालाबंदी

तालाबंदी

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बाहर घूमने वाले आज परिवार के साथ रह रहे हैं,

जो खाते ते होटलों में आज घर की दाल रोटी खा रहे हैं

भले ही तालाबंदी बुरी लगती हो हम सभी को,

पर इसी वजह से सभी के परिवार पास आ रहे हैं।

जिन्हें फुरसत भी ना थी अपने काम से,

वो भी आज अपने बच्चो के साथ खेल रहे हैं

जिन मां-बाप से बातें भी ना होती थी कभी,

आज पूरा दिन प्यार से बातें करते बिता रहे हैं।

देश की आर्थिक व्यवस्था कमजोर हो गई,

और चारो तरफ महामारी आ गयी हैं

पर यह इतनी बड़ी बात भी नही हैं साहब,क्योकि

देश मे चोरी, लूटपाट और बलात्कर कम हो गए हैं।

पर्यावरण से प्रदूषण कम हो गए और,

हर हरियाली पेड़ के पत्ते हिल रहे हैं

जो लुप्त से हो गए थे पंछी हमारे घरों से,

आज ओ भी हमारे छतों पर खेल रहे हैं

अमीरो को कुछ फर्क नही पड़ता,

वे तो तालाबंदी में मौज कर रहे हैं

केवल बचे गरीब हैं जो जीने की आस लिए,

भूखे ही मर रहे हैंं।  



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