ताल तलैया पनघट गूँजे
ताल तलैया पनघट गूँजे
उजियारा पूरब से आया,
भँवरा गुनगुन गाता है।
सोने के रथ बैठ सवारी,
सूरज हँसता आता है।
शीतल ठंडी भोर सुहानी,
चहक-चहक चिड़िया चहकी।
पुरवाई के झोंके लेकर,
कुंज-कुंज कलियाँ महकी।
ताल तलैया पनघट गूँजे
बालगीत
उजियारा पूरब से आया,
भँवरा गुनगुन गाता है।
सोने के रथ बैठ सवारी,
सूरज हँसता आता है।
शीतल ठंडी भोर सुहानी,
चहक-चहक चिड़िया चहकी।
पुरवाई के झोंके लेकर,
कुंज-कुंज कलियाँ महकी।
ताल तलैया पनघट गूँजे
मुर्गा बाँग लगाता है।
उजियारा पूरब से आया,
भँवरा गुनगुन गाता है।
ओस चमकती मोती जैसी,
धरती पे किरणें बिखरी।
चमक सुनहरी जग में फैली,
हरियाली चूनर निखरी।
अब तो जागो आलस छोड़ो,
दिन भी निकला जाता है।
उजियारा पूरब से आया,
भँवरा गुनगुन गाता है।
बस्ता लेकर शाला जाते,
नन्हे ये बाल सलोने।
आँगन में दादी भी आकर,
माखन को लगी बिलोने,
बारिश में सब दफ्तर जाते,
लेकर अपना छाता है।
उजियारा पूरब से आया,
भँवरा गुनगुन गाता है।