प्यार की जंग में हार जाना हुआ। प्यार की जंग में हार जाना हुआ।
चांदनी की रात कहो कोर निहारे है गरबा की बात कहो। चांदनी की रात कहो कोर निहारे है गरबा की बात कहो।
यह कैसा शुष्क-काल यह कैसा शुष्क-काल
उजियारा पूरब से आया, भँवरा गुनगुन गाता है उजियारा पूरब से आया, भँवरा गुनगुन गाता है
अपने हीं अश्रुजल से अपने आप को नहलाता हूँ हाँ मैं दोषी कहलाता हूँ ! अपने हीं अश्रुजल से अपने आप को नहलाता हूँ हाँ मैं दोषी कहलाता हूँ !
पूरी ज़िन्दगी को क्या यों नर्क बनाना ठीक है ? या फिर ज़िन्दगी का सामान्य ही बनाना ठीक पूरी ज़िन्दगी को क्या यों नर्क बनाना ठीक है ? या फिर ज़िन्दगी का सामान्य ही ब...