ताकों ना यूँ राह
ताकों ना यूँ राह
ताको ना यूँ राह किसी की....
अब तो दरमियान और दूर होने को है।
सुना है कुछ दिन पहले एक डाकिये ने दस्तक दी थी,
अब उसका तबादला किसी
ससुराल नामक शहर में होने को है।
चाह कर भी चाह नहीं सकोगे,
ऐसा भी कुछ होने को है।
ताको ना यूँ राह किसी की .....
अब तो दरमियान और दूर होने को है।
पेटियाँ लगभग सब भरे जा चुके,
कुछ दिनों में सिंदूरी सील लगने को है।
काश बयान कर देते दिल की बात,
तो मिलन की थी थोड़ी आश,
अब तो केवल अजीवन तरसने को है।