स्वतंत्रता की खोज
स्वतंत्रता की खोज
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रात सपने में आए स्वतंत्रता सेनानी हमारे,
पुराने जाने पहचाने थे वो सभी चेहरे सारे।
हैरान-परेशान थके कुछ खोजते थे बेचारे।
हो गए थे बेदम वो सारे एक गम के मारे।
कहां है स्वतंत्रता जो भारत के संग थी आई,
सत्तर बरस पहले थी उनकी कुंडली मिलाई।
बापू और पटेल ने मुझसे पूछा आगे बढ़कर,
लाए थे जो स्वतंत्रता को अंग्रेजों से लड़कर।
हम सब जगह देखके सबसे पूछ कर आए,
पर स्वतंत्रता से नहीं अभी तक मिल पाए।
सवाल उन सबका सुन मैं सकते में आया,
मेरी मां थी वो पर मैं खुद नहीं मिल पाया।
अब क्या कहता मैं और क्या उन्हें बताता,
मैं हूं लोकतंत्र और स्वतंत्रता थी मेरी माता।
कहीं मिले स्वतंत्रता तो तुम हमको बताना,
हम आए थे उससे मिलने ये याद दिलाना।
वह सबके सब अपनी रौ में बता रहे थे,
कितना प्यार स्वतंत्रता से है जता रहे थे।
वह मां थी मेरी मैं अभागा उसका बेटा हूं,
दम तोड़ा जिस बिस्तर में उसपे ही लेटा हूं।
सुनकर बात मेरी उन सब के आंसू छूट गए,
सपने उनके मेरे आगे ही जैसे सारे टूट गए।
फिर अट्टहास कर आगे आ नेता जी बोले,
उनके मुंह से निकले जैसे अगणित शोले।
स्वतंत्रता नहीं इतनी कच्ची है की साथ तोड़ जाएगी,
वह तो एक साथी सच्ची है ना यूं हाथ छोड़ जाएगी।
जिस ने दम तोड़ा वह तो बस उसकी झांकी है,
तुझमें है वो बसी तेरी पहचान करानी बाकी है।
मन के दरिंदों ने उसको हथकड़ियों में जकड़ा है,
तेरी सुस्ती के दावानल ने उसे गर्दन तक पकड़ा है।
अग्नि परीक्षा पार कर मां को अब तुझे बचाना है,
सच्चाई के कुमकुम से फिर वो ललाट सजाना है।
घबरा मत किसी के सहारे ना तुझे छोड़ जाएंगे,
लोकतंत्र तुझे जगाने आजाद भगत अब आएंगे।
सुन नाम आजाद भगत मैं बेड़ी खोल उठा,
मन ही मन में इंकलाब जिंदाबाद बोल उठा।
तन में फिर से एक नव रक्त संचार हो रहा था,
जग गया था जमीर जो अभी तक सो रहा था।
अब फिर से मन के गद्दारों को मुझे भगाना है
खोज मां स्वतंत्रता की सच्ची छवि बनाना है।
देख के मेरा नूतन जोश सहसा सबने मुंह खोले,
बस जो कहते हैं याद रखो जाते जाते सब बोले,
लोकतंत्र ये मां की छवि तेरेओज से ही पूरी होती है,
बिन लोकतंत्र के स्वतंत्रता की खोज अधूरी होती है।
अब हमें विश्वास है स्वतंत्रता तुझे छोड़कर ना जाएगी,
हम फिर से मिलने आएंगे जब जब वो हमें बुलाएगी।