स्वतंत्र है हम, स्वच्छंद है हम....
स्वतंत्र है हम, स्वच्छंद है हम....
आज़ाद है हम आज उन जंजीरो से,
खुले पंछी है हम आज आसमान के,
कल तक घना अंधेरा छाया हुआ था,
पर आज सूर्य का प्रकाश है,
स्वतंत्र है हम, स्वच्छंद है हम.
आज जश्न का दिन है, करोड़ो का जन्मदिन है,
ये हमारा भारत है, एक छोटा-सा हाथों का हिस्सा है,
हम आज के नायक है, ये वतन जो हमारा है,
स्वतंत्र है हम, स्वच्छंद है हम.
ये आजादी है, किसी के बलिदान की,
ये स्वर है किसी की आवाज़ का,
ये इंसान है उसके परिश्रम का,
ये धरती है उसके संतान की,
ये सब कुछ है, एक भारत देश का,
क्योंकि स्वतंत्र है हम, स्वच्छंद है हम..
आज देश की बेटी रोकेट उड़ा सकती है,
वो चाँद पर चहलकदमी भी कर सकती है,
बेटी आँसुओं से विशालकाय समुद्र बना सकती है,
जो बेटे नहीं कर सकते, वो बेटी कर सकती है,
वो एक नया इतिहास रच सकती है,
वो एक परी की तरह उड़ सकती है,
क्योंकि आज बेटी स्वतंत्र है, स्वच्छंद है..
अब कैद होने के लिए चार दिवार नहीं है,
आज कामयाब होने के लिए अनगिनत रास्ते हैं,
खुलकर कहने के लिए एक दिल है,
खुबसूरती को देखने के लिए सुदंर-सी आँख है,
क्योंकि आज स्वतंत्र है हम, स्वच्छंद है हम....
क्योंकि आज स्वतंत्र है हम, स्वच्छंद है हम....
