स्वर्ग
स्वर्ग
कल्पना के शहर में बस रहे हैं इन्सान
स्वर्ग के ख्वाब में पड़ गया इन्सान
ना सोच अच्छी रही, कर रहे बुरे काम
मन ही मन में देख रहे स्वर्ग का ख्वाब
स्वर्ग का ख्वाब देखना, मानव का अधिकार
पर, प्रेम की मिठास भूलें, करते बुरे काम
इन्सान ही इन्सान को काटते रहे
और सोचते, किया कितना अच्छा काम!
अपने हितों की बात करते रहे
और लेते हैं निर्दोषों का प्राण
क्या ईश्वर ने बनाये हुए है ऐसे ऐसे इन्सान!
स्वर्ग की लालच में करते हैं प्रकृति का सर्वनाश
कल्पना के शहर में बस रहे हैं इन्सान
स्वर्ग के ख्वाब में पड़ गया इन्सान
ऐसा इन्सान बनना नहीं हमें मंजूर
धरती को सुंदर बनाना हमारा है काम।