स्वप्न
स्वप्न
निद्रातंत्र के भी अपने ही नियम होते हैं,
उसमें देखे जाने वाले स्वप्न,
कभी श्वेत-श्याम तो कभी रंगीन होते है।
हर भव बाधा को हैं ये फलांग जाते हैं,
की स्वप्न बड़े ही मनचले होते हैं।
स्वप्न बड़े ही अच्छे होते हैं,
मेरे हिसाब से तो ये टाइम मशीन जैसे होते हैं।
है असम्भव जिन समय प्राचीरों को लांघना ,
उन्हें अपने हिसाब से ये तोड़ मरोड़ ही लेते हैं,
की ये स्वप्न बड़े ही मतवाले होते हैं।
अक्सर बचपन की यादों को,
इस जीवन में ये घोल ही देते हैं,
कि स्वप्न बड़े ही चुलबुले होते हैं।
पते की बात बता दूँ तुमको
कभी-कभी ये बड़े ही भयावह होते हैं
अलौकिक-अयथार्थ को स्मृतियों में पिरो ही देते हैं,
कि स्वप्न बड़े ही अविस्मर्णीय होते हैं।
अक्सर ले जाते अतीत की गलियों,
उन वाकयों की गर्द में,
जिन्हें हम पीछे छोड़ चुके होते हैं,
कि ये स्वप्न बड़े ही जादुई होते हैं।
कर देते हैं कभी-कभी धरा-अम्बर को एक,
की ये स्वप्न बड़े ही धाकड़ होते हैं।
आँखों ही आँखों में बहुत ही कुछ,
नींद ही में बोल देते,
अक्सर हमें हम ही में हैं तोल देते,
की ये स्वप्न बड़े ही संगीन होते हैं।
इन स्वप्नों में अक्सर ,
मैं खुद को शहजादी पाती हूँ,
कि ये स्वप्न बड़े ही हसीन होते हैं।
मनुष्य की विचित्रतम परिकल्पना हैं ये,
कि ये समय-काल के बंधन से परे होते हैं,
कि ये स्वप्न बड़े ही सार्वभौमिक होते हैं।
